दिल्ली व्यूरो
नई दिल्ली : पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को अप्रत्याशित सफलता मिली थी। लग रहा था कि पार्टी अब दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस और बीजेपी के लिए चुनौती बनकर खड़ी होगी। लेकिन, हालात ये है कि दिल्ली हो या हिमाचल या फिर गुजरात और उत्तराखंड आम आदमी पार्टी में जैसे भगदड़ मची हुई है। पार्टी के कार्यकर्ता से लेकर प्रदेश के बड़े नेता तक पलायन कर रहे हैं और ज्यादातर ने भारतीय जनता पार्टी का रुख किया है। पिछले कुछ समय में आम आदमी पार्टी से नेताओं और कार्यकर्ताओं का किस कदर मोहभंग हुआ है, उसकी कुछ बानगी देखिए। उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं का पलायन पंजाब में बड़ी जीत के बाद आम आदमी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं की लिस्ट में उत्तराखंड में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे दीपक बाली का नाम सबसे नया है। उन्होंने मंगलवार को बीजेपी की सदस्यता ली है। आम आदमी पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनावों के बाद अप्रैल महीने में ही प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, इस लिहाज से दिल्ली और पंजाब की सत्ता पर काबिज पार्टी के लिए यह बहुत बड़ा झटका है। दीपक बाली ने आम आदमी पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जो त्याग पत्र भेजा है, उसमें पार्टी के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने लिखा, ‘मैं एएपी के मौजूदा संगठनात्मक ढांचे में उसके साथ रहकर काम करने में सहज नहीं था।’ पार्टी के कामकाज के तरीके पर उठाए सवाल उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर एक वक्त केजरीवाल और उनकी टीम इतनी उत्साहित थी कि (रिटायर्ड) कर्नल अजय कोठियाल को पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश किया था। चुनाव के करीब दो महीने बाद 18 मई को कोठियाल ने भी इसी तरह पार्टी छोड़ दी थी और आम आदमी पार्टी में ‘संगठनात्मक समस्या’ का आरोप लगाते हुए 24 मई को भाजपा का कमल थाम लिया था। उन्होंने दावा किया कि आम आदमी पार्टी में शामिल होना उनकी एक गलती थी और बीजेपी में शामिल होकर वो उसी गलती को सुधार रहे हैं। दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी छोड़कर गए नेता सिर्फ उत्तराखंड की बात नहीं है। कई राज्यों में आम आदमी पार्टी के नेताओं में इसी तरह भगदड़ मची हुई है, जिन्हें सबसे पहला ठिकाना भाजपा में नजर आ रहा है। राजनीति के लिए यह कोई सामान्य घटना नहीं कही जा सकती। क्योंकि, पंजाब विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान के नेतृत्व में पार्टी को जो कामयाबी मिली है, उसके बाद पार्टी नेताओं का संगठन से इस तरह से मोहभंग होना हैरान करने वाला है। दिल्ली में भी राजेंद्र नगर विधानसभा के लिए उपचुनाव होने हैं। उससे पहले 11 जून को सत्ताधारी दल के 8 नेताओं ने झाड़ू फेंककर बीजेपी का फूल पकड़ लिया है। ऐसा करने वालों में इस विधानसभा में पार्टी के संगठन सचिव और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की प्रतिनिधि ममता कोचर, पूर्व विधायक विजेंदर गर्ग के बड़े भाई विनोद गर्ग और दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स की पूर्व सदस्य सोनिया सचदेवा भी शामिल हैं। हिमाचल में भी केजरीवाल की पार्टी से निकले बड़े नेता उत्तराखंड और गोवा में मात खाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर काफी उम्मीदें पाल रखी हैं। दोनों राज्यों में इसी साल के आखिर में चुनाव होने हैं। लेकिन, 8 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अनुप केसरी, पार्टी के महासचिव संगठन सतीश ठाकुर और ऊना के जिलाध्यक्ष इकबाल सिंह बीजेपी में शामिल हो गए थे। उनका आरोप था कि मंडी की रैली और रोड शो के दौरान अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के प्रदेश कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया, जिससे उनके आत्म सम्मान को धक्का लगा है। कुछ ही दिनों बाद पार्टी को एक और झटका लगा और प्रदेश की महिला मोर्चा की प्रमुख और कई और पदाधिकारी बीजेपी में चले गए। उसी महीने हिमाचल में जब पार्टी के कई नेता बीजेपी में चले गए तो आम आदमी पार्टी को अपनी प्रदेश इकाई भंग करनी पड़ गई।
जानिए गुजरात में भी आम आदमी पार्टी के नेताओं का पलायन अप्रैल महीने में अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान गुजरात दौरे पर गए थे। इसके एक दिन बाद ही उनकी पार्टी के करीब 150 नेता और कार्यकर्ता एक बड़े समारोह में भाजपा में चले गए। इससे पहले मार्च में भी गुजरात के कई आम आदमी पार्टी नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में चले गए थे। फरवरी महीने में भी सूरत में पार्टी के पांच पार्षद विपुल मोवालिया, भावना सोलंकी, रुटा दुधातरा, मनीषा कुकाडिया और ज्योतिकाबेन लाथिया बीजेपी में शामिल हो चुके थे। वैसे बाद में मनीषा कुकाडिया अपने पति जदगीश कुकाडिया के साथ केजरीवाल की पार्टी में वापस भी आ गए थे। लेकिन, बड़ा सवाल है कि आम आदमी पार्टी के नेता कार्यकर्ताओं में पंजाब की जीत देखने के बाद भी पार्टी के खिलाफ इस कदर की बेचैनी क्यों पैदा हो रही है ?